Kumbhalgarh Fort Longest Wall: दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी गई ये दिवार, 'द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया' से जाना जाता है इसे
- By Sheena --
- Thursday, 11 May, 2023
World Second Longest Wall Kumbhalgarh Fort In India
Kumbalgarh Fort Longest Wall: दुनिया इ बहुत से अजूबे मौजूद है और कई ऐसी जगहें भी है अजूबे तो नहीं है पर उनसे काम भी नहीं है। टूरिस्ट अट्रेक्शन हमेशा से भारत रहा है और भारत देश में हर साल बड़ी संख्या में सैलानी आते है और ढेरो नज़रों की यादें अपने साथ लेकर जाते है। अब जहां 'द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' है जो दुनिया की पहली सबसे लंबी दिवार मानी गई है वही भारत में भी एक ऐसी दिवार मानी गई जो कि भारत में स्थित है और ये दूसरी सबसे लंबी दिवार है। इसे 'द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया' कहा जाता है। और आपके बतादें कि इस दीवार और किले को घूमने के लिए देश के कोने-कोने से टूरिस्ट आते हैं। विदेशी सैलानी भी इस किले को एक बार देख लेना चाहते हैं। अगर आपने अभी तक यह किला और इसकी दीवार नहीं देखी है, तो आप यहां का टूर बना सकते हैं। यह किला और इसकी यह लंबी दीवार राजस्थान में स्थित है।
Nehru Kund Water: पंडित जवाहर लाल नेहरू पीते थे इस कुंड का पानी, वजह है बेहद खास, देखें खास ख़बर
15वीं शताब्दी का है यह किला
यह किला करीब 15वीं शताब्दी का है। इतिहास में पढ़े तो उसमे भी लिखा है कि अकबर भी इस किले को नष्ट नहीं कर पाया था। इस किले के भीतर आप लाइट एंड साउंड शो भी देख सकते हैं। इसके लिए आपको टिकट लेनी होगी। रात के वक्त गहन अंधेरे को छाटने के लिए इस किले को रोशन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब यह किला बना तो काफी दिक्कतें आई जिसके बाद एक संत ने अपना बलिदान दिया और किले का निर्माण कार्य आगे बढ़ा।
दीवार के निर्माण को लेकर दिलचस्प है कहानी
इस किले की दीवार के निर्माण से जुड़ी कहानी भी दिलचस्प है। ऐसा कहा जाता है कि जब महाराणा कुंभा ने इस किले का निर्माण शुरू किया तो इसमें काफी दिक्कतें आई और तब जाकर उन्होंने एक संत को बुलाया और उसे इन परेशानियों के बारे में बताया। उस संत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से बलिदान दे तो किले के निर्माण कार्य में आने वाली बाधाएं दूर हो जाएंगी। आखिर में एक दूसरा संत स्वेच्छा से बलिदान देने को तैयार हुआ और तब जाकर यह किला बन पाया।
36 किमी लंबी है इस किले की दीवार
इस किले की दीवार 36 किमी लंबी है। यह किला विश्व धरोहर स्थल में शामिल है। इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था। यह किला चित्तौड़गढ़ के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है। यह किला अरावली पर्वतमाला पर स्थित है और समुद्र तल से 1,100 मीटर की ऊंचाई पर है। इस किले की दीवार 15 फीट चौड़ी है। यह किला महाराणा प्रताप का जन्मस्थान है। इस किले में सात द्वार हैं। किला परिसर में कई हिंदू और जैन मंदिर हैं।